वट सावित्री व्रत 2025 कब है? पूजा विधि, कथा, पारण समय और नियम – पूरी जानकारी हिंदी में
वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म की महिलाओं के लिए अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक व्रत है। यह व्रत स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, सौभाग्य और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। इस व्रत की जड़ें पौराणिक कथा सावित्री और सत्यवान की दिव्य गाथा में हैं, जहाँ सावित्री ने अपने तप, दृढ़ संकल्प और भक्ति से यमराज से अपने पति को मृत्यु के मुख से वापस ला दिया।

वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- व्रत की तिथि: 26 मई 2025, सोमवार (ज्येष्ठ अमावस्या)
- पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त:
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:33 बजे से 12:26 बजे तक
टिप: व्रत की पूजा का सर्वोत्तम समय अभिजीत मुहूर्त माना गया है, क्योंकि यह सभी कार्यों के लिए शुभ होता है।
वट सावित्री व्रत क्यों मनाया जाता है?
- पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य, और अखंड सौभाग्य के लिए।
- संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली महिलाओं के लिए भी यह व्रत शुभफलदायक है।
- यह व्रत स्त्री की भक्ति, समर्पण और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
वट सावित्री व्रत का धार्मिक और पौराणिक महत्व
- ‘वट’ का अर्थ होता है बरगद का वृक्ष, जिसे ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक माना जाता है।
- ‘सावित्री व्रत’ सावित्री के तप और पति के प्रति अटूट प्रेम की स्मृति में रखा जाता है।
- इसे वट अमावस्या, बरगद व्रत या सावित्री व्रत भी कहा जाता है।
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि (Puja Vidhi)
व्रत की तैयारी:
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- व्रत का संकल्प लें: “मैं आज सावित्री व्रत का संकल्प लेती हूं, पति की दीर्घायु के लिए।”
पूजन सामग्री:
- कच्चा सूत (डोरा), रोली, हल्दी, चावल (अक्षत), फूल, फल, मिठाई, जल, दीपक, धूप, सोलह श्रृंगार का सामान।
पूजा का क्रम:
- वट वृक्ष के समीप जाएं।
- वृक्ष को जल अर्पित करें।
- कच्चे सूत या लाल धागे को 7, 11 या 21 बार वृक्ष के चारों ओर लपेटें।
- वृक्ष की पूजा करें – हल्दी, चावल, फूल, फल, मिठाई अर्पित करें।
- सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या चित्र की पूजा करें।
- व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- अंत में प्रार्थना करें:
“हे सावित्री! जैसे आपने अपने पति सत्यवान को मृत्यु से बचाया, वैसे ही मेरे पति को दीर्घायु और स्वास्थ्य प्रदान करें।”
वट सावित्री व्रत की पौराणिक कथा (संक्षेप में)
राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री अत्यंत बुद्धिमती और धर्मपरायणा थी। उसने सत्यवान से विवाह किया, जो अल्पायु था। विवाह के पश्चात वह अपने पति के साथ वन में रहने लगी।
एक दिन जब सत्यवान जंगल में लकड़ी काट रहा था, तभी यमराज उसकी आत्मा लेने आए। सावित्री ने यमराज का पीछा किया और धर्म और भक्ति की चर्चा की। यमराज उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान देने लगे।
- पहले उसने अपने ससुर का राज्य माँगा।
- फिर सौ पुत्रों का वर माँगा।
जब यमराज ने वर दे दिया, तब सावित्री ने युक्ति से पूछा – “बिना पति के मैं पुत्रवती कैसे हो सकती हूँ?”
यमराज को उसकी बात माननी पड़ी और उन्होंने सत्यवान को जीवनदान दिया।
वट सावित्री व्रत के नियम (Vrat Rules):
- स्त्रियां फलाहार या निर्जल व्रत करती हैं।
- ब्रह्मचर्य, सात्विकता और शुद्धता का पालन करना आवश्यक है।
- व्रत के दिन झूठ, निंदा, क्रोध, अपवित्रता से बचना चाहिए।
- कथा के पश्चात दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ होता है।
व्रत के लाभ:
- पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए अति प्रभावशाली।
- वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौहार्द और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
- स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- संतान-प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष फलदायक है।
वट सावित्री व्रत 2025 का पारण समय और विधि
पारण तिथि:
27 मई 2025 – ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा (अगले दिन)
पारण विधि:
- सुबह स्नान कर भगवान विष्णु, सावित्री और सत्यवान को स्मरण करें।
- किसी ब्राह्मण या सुहागन स्त्री को व्रत का दान दें (सुहाग सामग्री, वस्त्र, फल आदि)।
- फिर स्वयं सात्विक भोजन या फलाहार करें।
नोट: निर्जल व्रत करने वाली स्त्रियां कथा सुनने के बाद जल ग्रहण करती हैं।
वट सावित्री व्रत 2025 हर स्त्री के लिए एक सशक्त आध्यात्मिक अनुभव है, जो उसे अपने पति, परिवार और स्वयं के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा देता है। यह व्रत सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि स्त्री की आस्था, शक्ति और भक्ति का प्रतीक है।
यदि आप व्रत करने जा रही हैं, तो यह लेख आपके लिए संपूर्ण मार्गदर्शक है। इसे पढ़ने के बाद आपको किसी अन्य जानकारी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
व्रत की शुभकामनाएं! अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हो!
FAQs – वट सावित्री व्रत 2025 से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. वट सावित्री व्रत 2025 कब है?
उत्तर: वट सावित्री व्रत 2025 में 26 मई, सोमवार को रखा जाएगा, जो ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पड़ता है।
Q2. वट सावित्री की पूजा का सर्वोत्तम समय क्या है?
उत्तर: इस वर्ष व्रत की पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय अभिजीत मुहूर्त है — सुबह 11:33 से दोपहर 12:26 बजे तक।
Q3. वट सावित्री व्रत कौन रखता है और क्यों?
उत्तर: यह व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियां रखती हैं। इसका उद्देश्य है पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य, और वैवाहिक सुख की प्राप्ति।
Q4. क्या वट सावित्री व्रत निर्जल रखना अनिवार्य है?
उत्तर: नहीं, यह आपकी श्रद्धा और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। कुछ महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं, जबकि कुछ फलाहार व्रत करती हैं।
Q5. व्रत की पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर: वट (बरगद) वृक्ष के नीचे जाकर पूजा की जाती है — जल अर्पित करें, वृक्ष को कच्चा सूत लपेटें, सावित्री-सत्यवान की पूजा करें, व्रत कथा सुनें और प्रार्थना करें।
Q6. व्रत की कथा क्यों सुनते हैं?
उत्तर: व्रत की कथा सावित्री की भक्ति और तप की प्रेरणादायक कहानी है, जिससे व्रती को आशीर्वाद मिलता है और उसका व्रत पूर्ण होता है।
Q7. व्रत का पारण कब करें?
उत्तर: व्रत का पारण अगले दिन यानी 27 मई 2025 को किया जाता है। प्रतिपदा तिथि को स्नान कर, दान देकर व्रत समाप्त करें।
Q8. क्या इस व्रत में श्रृंगार करना जरूरी है?
उत्तर: हाँ, इस व्रत में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है, क्योंकि यह अखंड सौभाग्य की कामना का प्रतीक है।
Q9. क्या संतान के लिए यह व्रत रखा जा सकता है?
उत्तर: जी हाँ, संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली महिलाएं भी यह व्रत रखती हैं। यह व्रत बहुत फलदायक माना गया है।
Q10. इस व्रत में क्या दान करना चाहिए?
उत्तर: सुहाग सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर), वस्त्र, फल, मिठाई, दक्षिणा आदि ब्राह्मण या सुहागिन को दान करें।