शुभ मुहूर्त कैसे निकाले? | कैसे पता चलेगा कि कोई दिन शुभ है? सम्पूर्ण गाइड पंचांग के साथ 2025
भारतीय संस्कृति में शुभ मुहूर्त (Auspicious Time) का अत्यधिक महत्व है। कोई भी धार्मिक कार्य, विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, वाहन खरीद, व्यापार आरंभ, भवन निर्माण आदि तभी किया जाता है जब वह शुभ समय में हो। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह शुभ मुहूर्त कैसे निकाले जाते हैं? इस आर्टिकल में हम वैज्ञानिक, ज्योतिषीय और पंचांग आधारित तरीकों से शुभ मुहूर्त निकालने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को सरल भाषा में समझेंगे।

शुभ मुहूर्त का अर्थ क्या है?
“मुहूर्त” संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है – एक विशिष्ट समयावधि जिसमें कोई कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। जब ग्रह, नक्षत्र, तिथि, वार, योग और करण का समन्वय अनुकूल होता है, तब वह समय “शुभ मुहूर्त” कहलाता है।
शुभ मुहूर्त निकालने की प्रक्रिया (Step-by-Step Guide)
1. कार्य का प्रकार समझें
हर कार्य के लिए अलग-अलग मुहूर्त होते हैं:
पहले यह तय करें कि किस कार्य के लिए मुहूर्त चाहिए, क्योंकि प्रत्येक कार्य के लिए विशेष ग्रहों और योगों की आवश्यकता होती है।
2. पंचांग के तत्वों को समझें
शुभ मुहूर्त निकालने के लिए पंचांग के 5 प्रमुख अंगों का अध्ययन आवश्यक है:
तत्व | विवरण |
---|---|
तिथि | चंद्र मास की 30 तिथियाँ, जिनमें द्वितीया, तृतीया, पंचमी, दशमी आदि शुभ मानी जाती हैं। |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को शुभ माने जाते हैं। |
नक्षत्र | 27 नक्षत्र होते हैं, जिनमें रोहिणी, मृगशिरा, उत्तराषाढ़ा आदि विशेष शुभ होते हैं। |
योग | 27 योग होते हैं, जैसे: सिद्धि, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म आदि। |
करण | 11 करण होते हैं। बव, बालव, तैतिल, गर, वणिज आदि शुभ माने जाते हैं। |
3. ग्रहों की स्थिति देखें (Transit/Gochar)
शुभ मुहूर्त निकालते समय सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र आदि ग्रहों की वर्तमान स्थिति (गोचर) का विशेष ध्यान रखा जाता है।
गुरु और शुक्र तारा अस्त (combust) होने पर शुभ कार्य नहीं किए जाते।
4. लग्न का विचार करें (Ascendant Selection)
लग्न का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। लग्न का प्रभाव व्यक्ति और कार्य पर सीधा पड़ता है।
शुभ लग्न होते हैं:
- मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला
लग्न का चयन जातक की राशि और कार्य की प्रकृति के अनुसार किया जाता है।
5. चंद्रमा की स्थिति का विचार
चंद्रमा मानसिक स्थिति और स्थिरता का कारक है।
- शुभ मुहूर्त के समय चंद्रमा 6, 8 या 12वें भाव में नहीं होना चाहिए।
- चंद्रमा की नक्षत्र स्थिति भी अनुकूल होनी चाहिए।
6. दोषों से बचें (Avoid Inauspicious Combinations)
दोष | विवरण |
---|---|
राहुकाल | किसी भी कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। हर दिन अलग समय होता है। |
गुलिक काल | यात्रा या निवेश से बचना चाहिए। |
यमघण्ट काल | अशुभ माना जाता है। |
भद्रा काल | खासकर शुभ कार्यों से बचना चाहिए। |
Abhijit Muhurat (दोपहर का मध्य समय) एक अत्यंत शुभ समय होता है और किसी भी कार्य में इसे प्रयोग किया जा सकता है जब अन्य मुहूर्त उपलब्ध न हों।
मुहूर्त निकालने के टूल्स और साधन
पारंपरिक साधन
- पंचांग (Printed or Local)
- ज्योतिषाचार्य की सलाह
- धार्मिक ग्रंथ (मुहूर्त चिंतामणि, धर्मसिंधु)
ऑनलाइन टूल्स और ऐप्स
- Drik Panchang (drikpanchang.com)
- AstroSage
- Muhuratam
- MyPandit
- Android/iOS पंचांग ऐप्स
एक उदाहरण: विवाह मुहूर्त कैसे निकाले?
चरण | विवरण |
---|---|
राशि | वर और कन्या की जन्म राशि |
ग्रह स्थिति | गुरु और शुक्र शुभ हो |
नक्षत्र | रोहिणी, मृगशिरा, उत्तराषाढ़ा |
तिथि | द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार |
लग्न | वृषभ, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, मीन |
दोष | राहुकाल, भद्राकाल, ग्रहण से बचें |
टिप्स जो हमेशा ध्यान रखें
- सुबह 6 से 7:30 तक का समय सामान्यतः शुभ होता है (यदि राहुकाल न हो)।
- अभिजीत मुहूर्त लगभग दोपहर 11:45 से 12:30 तक होता है।
- किसी भी बड़े फैसले से पहले अनुभवी ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें।
शुभ मुहूर्त निकालना सिर्फ पंचांग देखने से अधिक है – इसमें व्यक्ति की जन्म कुंडली, कार्य की प्रकृति, समय, स्थान और खगोलीय स्थिति का समन्वय होता है।
यदि सही तरीके से मुहूर्त निकाला जाए, तो कार्य के सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या हर कार्य के लिए शुभ मुहूर्त आवश्यक होता है?
उत्तर: नहीं, लेकिन महत्वपूर्ण कार्यों के लिए मुहूर्त लेना शुभ माना जाता है।
Q2. क्या ऑनलाइन मुहूर्त पर भरोसा किया जा सकता है?
उत्तर: हां, लेकिन वह आपकी जन्मकुंडली पर आधारित हो तो ज्यादा सटीक होता है।
Q3. यदि कोई मुहूर्त न मिले तो क्या करें?
उत्तर: अभिजीत मुहूर्त या त्रिपुष्कर योग में कार्य कर सकते हैं।