कुंडली में ससुराल का भाव कौन सा होता है? जानिए ज्योतिष अनुसार पूरी जानकारी
भारतीय वैदिक ज्योतिष में कुंडली (जन्मपत्रिका) न केवल जातक के स्वभाव, स्वास्थ्य, करियर और वैवाहिक जीवन की जानकारी देती है, बल्कि ससुराल पक्ष से जुड़ी स्थितियों का भी गहराई से विश्लेषण करती है। यह लेख आपको बताएगा कि कुंडली में ससुराल का भाव कौन-सा होता है, इसके प्रभाव कैसे होते हैं, कौन-से ग्रह और योग शुभ या अशुभ परिणाम देते हैं, और उपाय क्या हैं।

1. ससुराल का भाव कौन सा है?
कुंडली में ससुराल से संबंधित मुख्य भाव है:
8वां भाव (अष्टम भाव):
- वैदिक ज्योतिष में 8वां भाव पति या पत्नी के परिवार अर्थात ससुराल को दर्शाता है।
- यह भाव जीवनसाथी के कुल, परिवार, ससुर-सास, और वहां की स्थितियों, संबंधों और परिस्थितियों को दर्शाता है।
- यह गूढ़ रहस्यों, आकस्मिक घटनाओं, संक्रमण, और गुप्त सुख-दुख से भी जुड़ा होता है।
नोट: जैसे विवाह भाव (7वां भाव) जीवनसाथी को दर्शाता है, उसी तरह 7वें भाव से अगला भाव (8वां) उनके परिवार को दर्शाता है।
2. ससुराल का विश्लेषण कैसे करें?
(i) 8वें भाव में ग्रहों की स्थिति:
शुभ ग्रह (बुध, शुक्र, बृहस्पति)
- यदि 8वें भाव में शुभ ग्रह हो और स्थिति बलवान हो, तो ससुराल में प्रेमपूर्ण संबंध, सुख-सुविधाएं और सहायता मिलती है।
पाप ग्रह (राहु, केतु, शनि, मंगल)
- यदि पाप ग्रह हो, तो ससुराल से तनाव, मतभेद, अलगाव या मानसिक पीड़ा हो सकती है।
- विशेषकर मंगल 8वें भाव में हो तो यह मंगली दोष को भी दर्शा सकता है।
(ii) 8वें भाव का स्वामी (Lord of 8th House):
- 8वें भाव का स्वामी यदि शुभ ग्रह के साथ युति करता हो या केंद्र/त्रिकोण में हो, तो ससुराल से सहयोग मिलता है।
- यदि 6वें, 12वें या 8वें भाव में जाकर नीच या शत्रु राशि में हो तो संघर्ष दर्शाता है।
(iii) 8वें भाव पर दृष्टि:
- यदि 8वें भाव पर गुरु या शुक्र की दृष्टि हो, तो यह संबंधों को मधुर बनाता है।
- शनि या राहु की दृष्टि हो तो ससुराल में कड़वाहट या दूरियां संभव।
3. ससुराल भाव पर विशेष योग और प्रभाव
1. राहु-केतु का प्रभाव:
- राहु यदि 8वें भाव में हो, तो जातक को ससुराल में भ्रम, धोखा या रहस्यमयी परिस्थितियां झेलनी पड़ सकती हैं।
- केतु हो तो ससुराल से दूरी या कटाव होता है।
2. गुरु शुक्र युति या दृष्टि:
- शुभता बढ़ती है, जीवनसाथी के परिवार से आर्थिक या सामाजिक सहयोग मिलता है।
3. नवांश कुंडली (D-9 Chart):
- विवाह और ससुराल से जुड़े गहरे विश्लेषण के लिए नवांश कुंडली का 8वां भाव भी देखें।
- यदि D-9 में 8वें भाव में पाप ग्रह हों तो गुप्त कष्ट, असंतोष या वियोग की संभावना होती है।
4. विशेष संयोग: ससुराल के सुख-दुख
योग/स्थिति | फल |
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8वें भाव में बृहस्पति | ससुराल में धार्मिक माहौल, मददगार लोग |
8वें में शुक्र | सुखद वातावरण, परंतु यदि नीच हो तो भोग विलास की अधिकता |
शनि + मंगल | टकराव, संघर्ष या अलगाव की संभावना |
लग्न से 8वां भाव और चंद्र से 8वां भाव दोनों प्रभावित | गहरे मानसिक और पारिवारिक तनाव |
5. विवाह से पहले ससुराल की पहचान कैसे करें?
- 8वें भाव में शुभ ग्रह होने पर:
- ससुराल का परिवार प्रतिष्ठित होगा।
- परिवार सहायक और समझदार होगा।
- अशुभ ग्रह होने पर:
- पारिवारिक खींचतान, मतभेद और सामाजिक असमानता हो सकती है।
TIP: लड़का/लड़की की कुंडली में 8वें भाव का गहरा अध्ययन विवाह से पहले करना आवश्यक होता है, ताकि ससुराल पक्ष की संभावनाओं को समझा जा सके।
6. ससुराल संबंधित समस्याओं के ज्योतिषीय उपाय
समस्या | उपाय |
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ससुराल से मतभेद | हर गुरुवार केले के पेड़ की पूजा करें, बृहस्पति बीज मंत्र का जाप करें। |
शनि/राहु प्रभाव | शनिवार को पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएं, राहु-केतु शांति मंत्र करें। |
मंगल दोष | हनुमान जी की उपासना करें, मंगलवार को लाल वस्त्र दान करें। |
अचानक समस्याएं | महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें, शिव अभिषेक करें। |
7. कुंडली में ससुराल भाव का महत्व
ससुराल का भाव (8वां) वैवाहिक जीवन की गहराई, जीवनसाथी के परिवार से संबंध, और वैवाहिक सुख-दुख की भविष्यवाणी करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी विवाह योग या मिलान में केवल 7वें भाव तक ही सीमित न रहें, बल्कि 8वें भाव का विश्लेषण अनिवार्य रूप से करें।
यदि आप अपनी कुंडली के ससुराल भाव को समझना चाहते हैं, तो किसी योग्य वैदिक ज्योतिषी से परामर्श करें जो नवांश, ग्रह दृष्टि और दशा-बुक्टि को गहराई से देख सके।
FAQs: कुंडली में ससुराल का भाव
Q1. कुंडली में ससुराल का भाव कौन-सा होता है?
उत्तर: वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में 8वां भाव ससुराल का भाव माना जाता है। यह जीवनसाथी के परिवार, ससुर-सास और वहां के संबंधों की स्थिति को दर्शाता है।
Q2. 8वें भाव में राहु या केतु होने का क्या असर होता है?
उत्तर: यदि राहु या केतु 8वें भाव में हों, तो ससुराल से संबंधों में भ्रम, अविश्वास, धोखा या मानसिक तनाव की संभावनाएं होती हैं। साथ ही, जातक को गुप्त शत्रु या अप्रत्याशित समस्याएं भी झेलनी पड़ सकती हैं।
Q3. अगर कुंडली में 8वां भाव शुभ ग्रहों से युक्त हो तो क्या होता है?
उत्तर: यदि 8वें भाव में बुध, शुक्र या गुरु जैसे शुभ ग्रह हों और वह बलवान हों, तो ससुराल में प्रेम, सहयोग और आर्थिक या सामाजिक लाभ मिलता है।
Q4. ससुराल से मतभेद होने पर ज्योतिषीय उपाय क्या हैं?
उत्तर: ससुराल से मतभेद की स्थिति में बृहस्पति मंत्र का जाप, गुरुवार व्रत, केले के पेड़ की पूजा, और राहु-केतु शांति अनुष्ठान लाभदायक होते हैं।
Q5. नवांश कुंडली (D-9 Chart) में ससुराल का भाव कैसे देखें?
उत्तर: नवांश कुंडली में भी 8वां भाव ही ससुराल को दर्शाता है। यदि वहां शुभ ग्रह हों, तो जीवनसाथी का परिवार अच्छा होगा। अशुभ ग्रह होने पर गुप्त समस्याएं, पारिवारिक तनाव या असंतोष हो सकता है।
Q6. क्या मंगल 8वें भाव में होने पर मंगली दोष होता है?
उत्तर: हां, यदि मंगल 8वें भाव में हो तो मंगली दोष बनता है। इसका प्रभाव ससुराल में टकराव, स्वास्थ्य समस्याएं या वैवाहिक तनाव के रूप में हो सकता है।
Q7. क्या कुंडली देखकर विवाह से पहले ससुराल की स्थिति जानी जा सकती है?
उत्तर: बिल्कुल। कुंडली का 8वां भाव, उसका स्वामी, उसमें स्थित ग्रह, और नवांश कुंडली का विश्लेषण करके ससुराल के स्वभाव, संबंध और संभावित लाभ या हानि की जानकारी ली जा सकती है।
Q8. कुंडली मिलान में क्या ससुराल भाव देखना जरूरी होता है?
उत्तर: हां, केवल गुण मिलान ही नहीं, बल्कि 8वें भाव का विश्लेषण भी जरूरी होता है ताकि विवाह के बाद ससुराल पक्ष से आने वाली संभावित परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाया जा सके।