गणेश चतुर्थी व्रत 2025: महत्व, पूजा विधि, कथा और लाभ
गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख और पावन पर्व है, जिसे विघ्नहर्ता श्री गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है, जो प्रायः अगस्त–सितंबर महीने में पड़ती है। इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था और इसी कारण यह दिन उनका विशेष पूजन और व्रत करने का माना गया है।

गणेश चतुर्थी का महत्व
- भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धिदाता कहा जाता है।
- मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
- यह पर्व केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय समुदाय द्वारा भी बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
- विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गोवा में इसका भव्य आयोजन होता है।
गणेश चतुर्थी व्रत विधि
1. व्रत का संकल्प
सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और गणपति बप्पा का ध्यान करें।
2. गणेश जी की स्थापना
- घर में स्वच्छ स्थान पर भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें।
- मूर्ति को लाल कपड़े पर विराजमान करें।
- धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य से उनका स्वागत करें।
3. पूजन सामग्री
- दूर्वा (तीन पत्तियों वाली घास)
- मोदक और लड्डू
- सिंदूर, हल्दी, कुंकुम
- अक्षत (चावल)
- पान, सुपारी और नारियल
4. पूजन विधि
- गणेश जी को स्नान कराकर वस्त्र अर्पित करें।
- उन्हें दूर्वा, लाल पुष्प और 21 मोदक अर्पित करें।
- “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जप करें।
- गणेश आरती और गणेश चालीसा का पाठ करें।
5. व्रत नियम
- व्रत करने वाले को दिनभर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- व्रत के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए।
- सायंकाल गणेश जी की आरती कर प्रसाद ग्रहण करें।
गणेश चतुर्थी की कथा
पुराणों के अनुसार एक बार माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से एक बालक की रचना की और उसे द्वारपाल बनाकर स्वयं स्नान करने चली गईं। उसी समय भगवान शिव वहाँ आए और जब बालक ने उन्हें अंदर जाने से रोका तो शिव जी ने क्रोधित होकर उसका सिर काट दिया। जब पार्वती जी ने यह देखा तो वे अत्यंत दुखी हुईं।
माता के शोक को शांत करने के लिए भगवान शिव ने गजमुख (हाथी का सिर) उस बालक के शरीर पर स्थापित किया और उसे “गणेश” नाम देकर प्रथम पूज्य देव होने का वरदान दिया। तभी से गणेश जी की पूजा हर शुभ कार्य से पहले की जाती है।
गणेश चतुर्थी का सामाजिक महत्व
- इस पर्व ने लोगों को एकता और सामूहिकता का संदेश दिया है।
- स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे जनआंदोलन का स्वरूप देकर लोगों को एकजुट किया।
- आज भी गणेश उत्सव सामाजिक मेल-जोल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और आध्यात्मिक गतिविधियों का प्रतीक है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- गणेश चतुर्थी के समय वर्षा ऋतु समाप्त हो रही होती है और शरद ऋतु का आगमन होता है। इस समय शरीर में रोगों की संभावना अधिक रहती है।
- व्रत, उपवास और सात्विक भोजन शरीर को शुद्ध करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाता है।
- गणेश प्रतिमा का मिट्टी से बनना और विसर्जन पर्यावरण चक्र का प्रतीक है, जिससे प्रकृति के प्रति संतुलन और संरक्षण का संदेश मिलता है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि भक्ति, स्वास्थ्य और समाजिक समरसता का भी प्रतीक है। इस दिन गणपति बप्पा की उपासना करने से जीवन में नई ऊर्जा, सफलता और सौभाग्य प्राप्त होता है।
विवरण | तिथि/समय (IST) |
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गणेश चतुर्थी (तिथि) | बुधवार, 27 अगस्त 2025 |
मध्यान्ह गणेश पूजा मुहूर्त (आदर्श) | लगभग 11:00 पूर्वाह्न – 1:45 अपराह्न (शहर अनुसार नीचे देखें) |
शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि प्रारम्भ | 26 अगस्त 2025 – अपराह्न 12:40 बजे* |
शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि समापन | 27 अगस्त 2025 – अपराह्न 2:07 बजे* |
गणेश विसर्जन (अनन्त चतुर्दशी) | शनिवार, 6 सितंबर 2025 |
*तिथि प्रारम्भ/समापन IST में—स्थान अनुसार कुछ मिनट का अंतर सम्भव।
शहर | मध्यान्ह पूजा मुहूर्त | तिथि |
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मुंबई | 11:24 पूर्वाह्न – 1:55 अपराह्न | 27 अगस्त 2025 |
पुणे | 11:21 पूर्वाह्न – 1:51 अपराह्न | 27 अगस्त 2025 |
नई दिल्ली | 11:05 पूर्वाह्न – 1:40 अपराह्न | 27 अगस्त 2025 |
बेंगलुरु | 11:07 पूर्वाह्न – 1:36 अपराह्न | 27 अगस्त 2025 |
कोलकाता | 10:22 पूर्वाह्न – 12:54 अपराह्न | 27 अगस्त 2025 |
चेन्नई | 10:56 पूर्वाह्न – 1:25 अपराह्न | 27 अगस्त 2025 |
अहमदाबाद | 11:25 पूर्वाह्न – 1:57 अपराह्न | 27 अगस्त 2025 |
हैदराबाद | 11:02 पूर्वाह्न – 1:33 अपराह्न | 27 अगस्त 2025 |
FAQ Section (Schema Friendly)
प्रश्न 1: गणेश चतुर्थी व्रत कब है 2025 में?
उत्तर: गणेश चतुर्थी व्रत 2025 में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है।
प्रश्न 2: गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व क्या है?
उत्तर: गणेश चतुर्थी व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। यह व्रत विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाला माना गया है।
प्रश्न 3: गणेश चतुर्थी पर कौन सा प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
उत्तर: गणेश जी को मोदक, लड्डू और दूर्वा विशेष प्रिय हैं। पूजा के समय 21 मोदक और दूर्वा अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रश्न 4: गणेश चतुर्थी की पूजा विधि क्या है?
उत्तर: गणेश चतुर्थी पर स्नान करके व्रत का संकल्प लें, गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें, उन्हें दूर्वा, मोदक, सिंदूर और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद मंत्रजाप, आरती और चालीसा का पाठ करें।
प्रश्न 5: गणेश चतुर्थी व्रत के नियम क्या हैं?
उत्तर: व्रत करने वाले को दिनभर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, सात्विक भोजन करना चाहिए और संध्या समय गणेश जी की आरती करके प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।