दीपक जलाने का शुभ मुहूर्त | कब से कब तक दीप जलाना सबसे शुभ होता है?
भारत में दीप जलाना सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा, शुद्धता और देवी-देवताओं के स्वागत का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर समय दीप जलाना शुभ नहीं होता? शास्त्रों और ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, दीपक जलाने का भी एक निश्चित शुभ मुहूर्त होता है।

इस लेख में हम जानेंगे:
- दीपक जलाने का सही समय क्या होता है
- किस दिशा में दीपक जलाना चाहिए
- किस दिन कौन सा दीपक किसके लिए जलाएं
- कौन से समय दीपक नहीं जलाना चाहिए
- वैज्ञानिक और धार्मिक कारण
- रोज़ाना, विशेष पर्व, और पूजा के समय अलग-अलग मुहूर्त
दीपक जलाने का शुभ समय: कब से कब तक?
संध्या वंदन / प्रदोष काल
दीपक जलाने का सबसे शुभ समय माना जाता है:
शाम को सूर्यास्त से 24 मिनट पहले से लेकर सूर्यास्त के 24 मिनट बाद तक, यानी लगभग
संध्या काल – शाम 5:45 से 6:45 (स्थान और ऋतु के अनुसार फर्क)
इसे ही प्रदोष काल भी कहा जाता है। यही वह समय है जब दिन और रात का संगम होता है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा अत्यधिक सक्रिय होती है।
किस दिशा में दीपक जलाएं?
- पूर्व दिशा: शिक्षा, बुद्धि और सूर्य देव के लिए
- उत्तर दिशा: धन, सुख-समृद्धि (कुबेर दिशा)
- दक्षिण दिशा: पितृ कार्यों के लिए (नित्य नहीं)
- पश्चिम दिशा: वास्तु दोष निवारण
घर के मंदिर में दीपक पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जलाएं।
किस प्रकार का दीपक कब जलाएं?
दिन | दीपक का प्रकार | तेल | किसके लिए शुभ |
---|---|---|---|
सोमवार | मिट्टी का | घी | मन की शांति, चंद्र कृपा |
मंगलवार | तांबे का | सरसों | मंगल दोष निवारण |
बुधवार | कांसे का | नारियल तेल | बुद्धि, व्यापार |
गुरुवार | मिट्टी का | घी | गुरु कृपा |
शुक्रवार | चांदी का | तिल का तेल | शुक्र कृपा, वैवाहिक सुख |
शनिवार | लोहे का | सरसों तेल | शनि कृपा, दोष निवारण |
रविवार | पीतल का | घी | सूर्य कृपा |
कब दीपक नहीं जलाना चाहिए?
- तेज हवा या तूफान में खुली जगह पर (दीप बुझना अशुभ संकेत है)
- अमावस्या की मध्य रात्रि को बिना किसी विशेष पूजा के
- रात के 12 से 3 बजे (रजोगुण और तमोगुण की चरम स्थिति होती है)
- शौच या अशुद्ध अवस्था में
धार्मिक कारण: क्यों शुभ होता है दीप जलाना?
- लक्ष्मी जी का वास प्रकाश में होता है। दीप जलाने से दरिद्रता दूर होती है।
- शास्त्रों के अनुसार, दीपक जलाना अंधकार (अज्ञान) को मिटाने का प्रतीक है।
- पितरों की संतुष्टि के लिए दक्षिणमुखी दीपक जलाना पुण्यदायी माना जाता है।
- वास्तु शास्त्र कहता है कि नियमित दीप जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- घी और तेल से बनी लौ वातावरण में सकारात्मक आयन छोड़ती है।
- दीपक का प्रकाश मानव मस्तिष्क को शांति देता है।
- दीपक जलने से निकलने वाली सुगंधित धूप/तेल बैक्टीरिया को नष्ट करती है।
विशेष पर्वों पर दीप जलाने का विशेष महत्व
पर्व | समय | विशेष उद्देश्य |
---|---|---|
दीवाली | संध्या समय | लक्ष्मी पूजन, दीपदान |
करवा चौथ | चंद्रदर्शन के बाद | सौभाग्य |
नवरात्रि | रोजाना संध्या | देवी पूजन |
गुरुपर्व | सूर्योदय व संध्या | गुरु पूजन |
श्राद्ध पक्ष | संध्या के बाद | पितृ तर्पण |
विशेष सुझाव
- दो बाती का दीपक जलाना अधिक शुभ माना जाता है।
- दीपक के पास “जल का लोटा” रखना सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
- हर दिन दीप जलाने से पहले मन में कोई एक शुभ संकल्प करें।
- अगर आप दीपक बुझ जाने पर दोबारा जलाएं, तो पहले हाथ जोड़कर क्षमा मांगें।
दीपक जलाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह जीवन में प्रकाश और ऊर्जा का प्रवेश द्वार है। सही दिशा, सही समय और सही भाव के साथ अगर दीपक जलाया जाए, तो यह आपके जीवन में चमत्कारी बदलाव ला सकता है।
अगली बार जब आप दीपक जलाएं, तो संध्या वंदन के समय पूर्व दिशा में बैठकर, घी या सरसों के तेल से भरा दीपक जलाएं और सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करें।