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2025 में निर्जला एकादशी कब है? तिथि, व्रत विधि, पारण समय, कथा और महत्व

निर्जला एकादशी, हिंदू धर्म में सबसे कठिन लेकिन सबसे पुण्यदायक एकादशियों में से एक मानी जाती है। यह ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है और “निर्जला” शब्द का अर्थ है — बिना जल के। इस दिन व्रती पूर्ण निर्जल उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।

निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी 2025 तिथि व मुहूर्त

विवरणतिथि व समय
एकादशी तिथि प्रारंभ6 जून 2025, शुक्रवार, प्रातः 3:13 AM से
एकादशी तिथि समाप्त7 जून 2025, शनिवार, प्रातः 5:03 AM तक
व्रत रखने की तिथि6 जून 2025, शुक्रवार
पारण (उपवास समापन)7 जून 2025, शनिवार, सूर्योदय के बाद किसी भी समय

चूंकि 6 जून को पूरा दिन-रात एकादशी तिथि विद्यमान है, अतः व्रत 6 जून शुक्रवार को ही रखा जाएगा।

निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व

  1. भीम एकादशी के नाम से भी प्रसिद्ध — क्योंकि महाभारत के पात्र भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था।
  2. जो व्यक्ति सालभर की 24 एकादशियों का व्रत नहीं कर सकता, वह केवल यह एक व्रत रखकर सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त कर सकता है।
  3. यह व्रत पापों का नाश, मोक्ष की प्राप्ति, और धन-संपत्ति देने वाला माना जाता है।
  4. इस दिन गंगा स्नान, दान, और पूजा विशेष पुण्यदायक होती है।
  5. पितृ दोष, रोग और मानसिक क्लेशों का निवारण करने वाला दिन।

व्रत विधि (कैसे करें निर्जला एकादशी व्रत)

1. दशमी तिथि (व्रत की पूर्व संध्या):

  • शाम को हल्का सात्विक भोजन करें (नमक रहित उत्तम रहेगा)।
  • उपवास का संकल्प लें — “मैं भगवान विष्णु की कृपा हेतु निर्जला एकादशी का व्रत करूंगा।”

2. एकादशी दिनचर्या (6 जून 2025):

  • सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • घर में पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की पूजा करें।
    • तुलसी, फूल, फल, दीप, धूप, पंचामृत आदि से अर्चना करें।
  • दिनभर निर्जल उपवास करें — न जल, न फल, न भोजन।
    • यदि कोई अस्वस्थ व्यक्ति हो या निर्जला व्रत संभव न हो तो फलाहार एवं जल के साथ व्रत कर सकते हैं (कम पुण्य लेकिन मान्य)।
  • विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ, श्रीमद्भागवत आदि ग्रंथों का पाठ करें।

3. द्वादशी पर पारण (7 जून 2025, शनिवार):

  • सूर्योदय के बाद गाय, ब्राह्मण, गरीबों को अन्न, वस्त्र, जल पात्र, पंखा, छाता आदि का दान करें।
  • फिर व्रत का पारण करें — फल, जल या हल्का सात्विक भोजन ग्रहण करें।

पूजा में उपयोगी मंत्र

  • मुख्य मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
  • वैकल्पिक पाठ: विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र या श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ अत्यंत पुण्यदायक होता है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा (संक्षिप्त में)

महाभारत में वर्णन मिलता है कि भीमसेन एकमात्र पांडव थे जिन्हें भूख सहन नहीं होती थी, इसलिए वे एकादशी व्रत नहीं रख पाते थे। महर्षि व्यास ने उन्हें बताया कि यदि वे निर्जला एकादशी का व्रत पूरे नियम और निष्ठा से करें, तो उन्हें साल भर की सभी एकादशियों का फल मिल जाएगा।
भीम ने यह कठिन व्रत रखा और तभी से इसे “भीम एकादशी” भी कहा जाने लगा।

दान और गंगा स्नान का विशेष महत्व

  • इस दिन गंगा स्नान से पापों का शुद्धिकरण होता है।
  • जल पात्र, छाता, चावल, घी, वस्त्र, फल, शरबत आदि का दान अत्यंत पुण्य माना गया है।
  • ब्राह्मणों को अन्नदान करने से कुल का कल्याण होता है।

कुछ विशेष सावधानियां

नियमक्यों ज़रूरी है
सूर्योदय से पहले स्नान और पूजादिन शुभ रूप से आरंभ होता है
दिनभर जल और अन्न से पूर्ण विरक्तियही निर्जला का मूल व्रत है
क्रोध, झूठ, निंदा से बचनामानसिक पवित्रता भी आवश्यक है
रात को जागरण संभव हो तो करेंविष्णु नाम का संकीर्तन करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q. क्या निर्जला एकादशी में फल और जल लेना उचित है?
A. आदर्श रूप से नहीं। लेकिन यदि स्वास्थ्य कारणवश निर्जला उपवास संभव न हो, तो फल और जल के साथ व्रत किया जा सकता है।

Q. पारण कब और कैसे करें?
A. द्वादशी तिथि (7 जून 2025) को सूर्योदय के बाद हल्के फलाहार या सात्विक भोजन से पारण करें। पहले दान अवश्य करें।

Q. क्या स्त्रियाँ भी निर्जला एकादशी रख सकती हैं?
A. हाँ, कोई भी स्त्री या पुरुष, स्वस्थ स्थिति में यह व्रत रख सकते हैं।

निर्जला एकादशी 2025 का व्रत केवल आत्मशुद्धि और पुण्य की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी अवसर है। जो व्यक्ति श्रद्धा और संकल्प के साथ इस दिन उपवास करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

इस दिन का सही पालन करने से साल भर की एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि संभव होती है।

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